चौंकिए मत ! लेटर की तरह तब बच्चे भी दादा-दादी के घर पार्सल हो जाते थे
मोबाइल-इंटरनेट आने के बाद पत्र भेजना भले कम हुआ हो लेकिन बंद नहीं हुआ है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी बच्चों को भी पार्सल की तरह एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जाता था. हां, कुछ वैसा ही जैसे डाकिया खत लेकर आता है.
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