चंद्रशेखर तिवारी से कैसे बन गए 'आजाद', उनके साहस की ये कहानी सुन आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं
1931 के इलाहाबाद के इस एल्फ्रेड पार्क में जहां शहीद चंद्रशेखर आजाद की ये विशालकाय मूर्ति खड़ी है. ठीक इसी जगह आजाद ने अंग्रेजों से लड़ते हुए अपनी पिस्तौल की बची हुई आखिरी गोली खुद ही को मार ली थी और देश के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण त्याग दिए थे.
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